उप्पर सागर.... नीचे सागर,
सागर मे भी सागर,
गागर मे भी सागर..!
आकाश मे सागर... धरतीपर सागर,
सागर के पहेले सागर,
सागर के बाद भी सागर...!
बुन्दोमे सागर.... लहरोमे सागर,
सतह भी सागर,
गहराई भी सागर...!
झरना भी सागर... नदी मे भी सागर,
कही उतरता हुआ सागर,
कही बेहेता हुआ सागर...!
बादलों मे सागर... बारीश मे सागर,
कही छुपा हुआ सागर,
कही बरसता हुआ सागर...!
आंखोमे भी सागर... दिलमे भी सागर,
कही सिमीत सा सागर,
असीम भी सागर...!
रेतमे भी सागर... रेतपर भी सागर,
कही खोया हुआ सागर,
कही आया हुआ सागर...!
हर मोड सागर... हर मंझिल सागर,
देखा हुआ भी सागर,
अनदेखा भी …सागर...!
शिष्य भी सागर... गुरु भी सागर,
कही सोया हुआ सागर...
कही जागा हुआ सागर...!
जय गुरु
-नितीन राम
०२ सप्टेंबर २०११
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